यूं तो उसे दिल की तह में समेट रखता हूं
मगर जाने अनजाने में आ जाता है ख्याल उसका
सारी तहें तहस नहस कर जाती है
और वो दिलो-दिमाग में छा जाती है
बन जाती है जिद्दी बच्ची
मेरे एहसासों से खेल जाती है
मेरे ज़हन में, मेरी आँखों में
मेरे लफ्ज़ो में अपनी छाप छोड़ जाती है
मुझे उलझा कर अपनी यादों में
खुद मुस्कुरा जाती है
आती है जाती है खुद अपनी मर्ज़ी से
मुझे मझधार में पहुंचा जाती है
थक जाता हूं
कर देता समर्पण सामने उसके
वो जीत जाती है, मै हार जाता हूं ।
Happy Birthday Rose... 🌹
©Rose Rehan
वो जीत जाती है, मै हार जाता हूं ।