आज मेरी मंजिल न होती , उम्मीद यदि उनकी आंखों में द | English Poetry

"आज मेरी मंजिल न होती , उम्मीद यदि उनकी आंखों में देखी न होती । स्वयं को भी न पचाना होता , जीवन यदि उनका जाना न होता । उसे पाने की चाह न होती , संघर्ष यदि तुम्हारा देखा न होता । अपने सफर के लिए साधन न होता, सफर यदि तुम्हारा देखा न होता । तुम्हे लिख तो नहीं सकती हूं, लेकिन इतना कह सकती हु। तुम एक दरिया हो , समुद्र तक ले जाने का जरिया हो । ©Divya Hariwanshi"

 आज मेरी मंजिल न होती ,
उम्मीद यदि उनकी आंखों में देखी न होती ।
स्वयं को भी न पचाना होता ,
जीवन यदि उनका जाना न होता ।
उसे पाने की चाह न होती ,
संघर्ष यदि तुम्हारा देखा न होता ।
अपने सफर के लिए साधन न होता,
सफर यदि तुम्हारा देखा न होता ।
तुम्हे लिख तो नहीं सकती हूं,
लेकिन इतना कह सकती हु।
तुम एक दरिया हो ,
समुद्र तक ले जाने का जरिया हो ।

©Divya Hariwanshi

आज मेरी मंजिल न होती , उम्मीद यदि उनकी आंखों में देखी न होती । स्वयं को भी न पचाना होता , जीवन यदि उनका जाना न होता । उसे पाने की चाह न होती , संघर्ष यदि तुम्हारा देखा न होता । अपने सफर के लिए साधन न होता, सफर यदि तुम्हारा देखा न होता । तुम्हे लिख तो नहीं सकती हूं, लेकिन इतना कह सकती हु। तुम एक दरिया हो , समुद्र तक ले जाने का जरिया हो । ©Divya Hariwanshi

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