मेरी नज़र से नज़र मिलाकर बे-क़रार कर गया। ख्यालों का | हिंदी शायरी

"मेरी नज़र से नज़र मिलाकर बे-क़रार कर गया। ख्यालों का खंजर ज़िगर के आर पार कर गया। उससे हाथ मिलाया बहुत ही संजीदगी से मगर मोहब्बत के चुनाव का मुझें उमीदवार कर गया।। ©शुभेंद्र सिंह 'संन्यासी'"

 मेरी नज़र से नज़र मिलाकर बे-क़रार कर गया।
ख्यालों का खंजर ज़िगर के आर पार कर गया।

उससे हाथ मिलाया बहुत ही संजीदगी से मगर
मोहब्बत के चुनाव का मुझें उमीदवार कर गया।।

©शुभेंद्र सिंह 'संन्यासी'

मेरी नज़र से नज़र मिलाकर बे-क़रार कर गया। ख्यालों का खंजर ज़िगर के आर पार कर गया। उससे हाथ मिलाया बहुत ही संजीदगी से मगर मोहब्बत के चुनाव का मुझें उमीदवार कर गया।। ©शुभेंद्र सिंह 'संन्यासी'

# मोहब्बत की कहानियाँ "अब्र" 2.0 @Internet Jockey कुमार रंजीत @Anshu writer @Satyaprem

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