आब लागई य नींद स बियाह भ गेल ,, घरवाली जेना ,, | English Poetry

"आब लागई य नींद स बियाह भ गेल ,, घरवाली जेना ,, कखनो रुइश रहई य ,, छन छन दूर भागई य ,, दू बजे राईत तक मनाब़ परई य ..।। ©Gaurav bhardwaj"

 आब लागई य  नींद  स बियाह भ गेल ,,

घरवाली जेना ,,

कखनो रुइश रहई य ,,

छन छन दूर भागई य ,,

दू बजे राईत तक मनाब़ परई य ..।।

©Gaurav bhardwaj

आब लागई य नींद स बियाह भ गेल ,, घरवाली जेना ,, कखनो रुइश रहई य ,, छन छन दूर भागई य ,, दू बजे राईत तक मनाब़ परई य ..।। ©Gaurav bhardwaj

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