उलझनों से दूर सुकून के पल बिताने को तु एक बार समंद

"उलझनों से दूर सुकून के पल बिताने को तु एक बार समंदर के किनारे आजा।। लहरों को अपने पैरों से छू जाने को बैठ अकेले कुछ पल यूं हीं मुस्कराने को तनहाई में दो गीत ही गुनगुनाने को तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।"

 उलझनों से दूर सुकून के पल बिताने को
तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।

लहरों को अपने पैरों से छू जाने को
बैठ अकेले कुछ पल यूं हीं मुस्कराने को
तनहाई में दो गीत ही गुनगुनाने को
तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।

उलझनों से दूर सुकून के पल बिताने को तु एक बार समंदर के किनारे आजा।। लहरों को अपने पैरों से छू जाने को बैठ अकेले कुछ पल यूं हीं मुस्कराने को तनहाई में दो गीत ही गुनगुनाने को तु एक बार समंदर के किनारे आजा।।

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