White आदमी का स्वभाव है आदमी को महज़
खिलौना समझना
जिसे वो इस्तेमाल करता है
महज़ दिल बहलाने को
दिल बहला लेने के बाद
उसका खिलौना महज़ रह जाता है
एक आधा, टूटा, बिखरा, सा खिलौना
फिर उस खिलौने में दिलचस्पी खत्म होने पर
आदमी ढूँढता है फिर एक नया खिलौना
पुन: उसे टूटा बिखरा और अधूरा छोड़ने के लिए
कितना छिछलापन है आदमी का आदमी होना
वो पूर्णतः इंसान क्यों नहीं होता
क्यों महज़ रहता है वो आदमी......
©Harpinder Kaur
# आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता?