सत्य को छुपाना आसान नही अब तो कह दो इन हाथों में जान नहीं चेहरे तक थकावट आ चुकी है क्या मुझे है पहचान नही।
मेरे सिरहाने अपनी नींद रखकर रातों को जागना तेरा मेरे चेहरे पर मुस्कान देख बन जाता था दिन तेरा।
मेरे रूठ जाने पर मुझे मनाने के जतन करना मेरी सिसकियों की परवाह में आंखे आसुंओं से भरना।
मेरी मुसीबत कभी मेरी नही होती थी जिस दिन मैं दुखी होता था मेरी मां भी रोती थी। (कैप्शन देखें)
मेरी मुसीबत कभी मेरी नही होती थी जिस दिन मैं दुखी होता था मेरी मां भी रोती थी।
उज्ज्वल
अपनी तकदीर जब कमजोर लगती है मैं मां को सोचता हूँ भगवान ने मां देकर सब दे दिया उनके हाथ जोड़ता हूँ।
अब जब मन्दिर में खड़ा हूँ तो मां की याद आती है भगवान से ज्यादा मां मेरे सुख-दुख की साथी है।
©Durga Gautam