White पल्लव की डायरी उतार चढ़ाव के झूले झुले नाटक द | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी उतार चढ़ाव के झूले झुले नाटक दुनियाँ के खेले है लगाव और अपनापन में जिंदगी जोख दी आज अपन अकेले है निगाहे उन सब को खोजे जो कसमे साथ रहने की खाते थे सहारे उनके अब खलते है तन्हाइयो में हम छटपटाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
उतार चढ़ाव के झूले झुले
नाटक दुनियाँ के खेले है
लगाव और अपनापन में जिंदगी जोख दी
आज अपन अकेले है
निगाहे उन सब को खोजे
जो कसमे साथ रहने की खाते थे
सहारे उनके अब खलते है
तन्हाइयो में हम छटपटाते है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी उतार चढ़ाव के झूले झुले नाटक दुनियाँ के खेले है लगाव और अपनापन में जिंदगी जोख दी आज अपन अकेले है निगाहे उन सब को खोजे जो कसमे साथ रहने की खाते थे सहारे उनके अब खलते है तन्हाइयो में हम छटपटाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#love_shayari उतार चढ़ाव के झूले झुले
#nojotohindi

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