जब आंखों के बादल से, ये ओस की बूंदें गिरती हैं। तब | हिंदी शायरी

"जब आंखों के बादल से, ये ओस की बूंदें गिरती हैं। तब शुष्क जमीं से गालों पर, हल्की सी नमी दिख पड़ती है। कितना भी कहूं, अब बस भी करो, तुम दिल का हाल बताते हो। बेरहम ये दुनियां कहती है, तुम अपना दर्द जताते हो। ©Meenakshi pacholi Bhatt"

 जब आंखों के बादल से, ये ओस की बूंदें गिरती हैं।
तब शुष्क जमीं से गालों पर, हल्की सी नमी दिख पड़ती है।
कितना भी कहूं, अब बस भी करो,
तुम दिल का हाल बताते हो।
 बेरहम ये दुनियां कहती है,
तुम अपना दर्द जताते हो।

©Meenakshi pacholi Bhatt

जब आंखों के बादल से, ये ओस की बूंदें गिरती हैं। तब शुष्क जमीं से गालों पर, हल्की सी नमी दिख पड़ती है। कितना भी कहूं, अब बस भी करो, तुम दिल का हाल बताते हो। बेरहम ये दुनियां कहती है, तुम अपना दर्द जताते हो। ©Meenakshi pacholi Bhatt

#शायरी #दर्द #अश्क

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