"कि क्यों नहीं आती हमारे अखबारों में ये चीजें, इतनी गहरी चली गयीं हैं कि अपने पराये की साम्प्रदायिक भावना, साम्प्रदायिक अलगाव जिसे विभाजन के बाद राष्ट्रवाद ने पैना कर दिया। कि क्यों हमारे अखबार हमारी अपनी करतूतें नहीं छापतें?कि क्यों उन्हें सत्ता की गोद में बैठान पड रहा है? "........!
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क्या महात्मा गाँधी ने इसी भारत की कल्पना की थी?..........
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