दिल में रखा था छिपा कर तुम्हें ना जाने ज़माने को | हिंदी शायरी

"दिल में रखा था छिपा कर तुम्हें ना जाने ज़माने को कैसे खबर हो गयी। माँगा था तुम्हें हर पल दुआओं में यार........ कैसे कहूँ कि मेरी हर दुआ अब बेअसर हो गयी।। ©AB Sharma"

 दिल में रखा था छिपा कर तुम्हें 
ना जाने ज़माने को कैसे खबर हो गयी।
माँगा था तुम्हें हर पल दुआओं में 
   यार........
 कैसे कहूँ कि मेरी हर दुआ अब बेअसर हो गयी।।

©AB Sharma

दिल में रखा था छिपा कर तुम्हें ना जाने ज़माने को कैसे खबर हो गयी। माँगा था तुम्हें हर पल दुआओं में यार........ कैसे कहूँ कि मेरी हर दुआ अब बेअसर हो गयी।। ©AB Sharma

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