देशभक्ति थी जिसके रग में, बल्लभ ऐसा दीवाना था
दुश्मन खातिर आंधी और, ज्वालामुखी सा फटने वाला था
चाहे कितने युग बीते पर, हो सकती नहीं पुरानी ये
ऐसी सुंदर मनमोहक है, एकता दिवस की कहानी ये
गुजरात राज्य के नाडियाड में, देखो जिसका जन्म हुआ
लौह पुरुष से आगे जाकर, जिसका नाम अमर हुआ
सरदार पटेल ने पहले अंग्रेजो के दिल में, भय को बांधा था
स्वतंत्र भारत को फिर अपनी धुन पर, एक सूत्र में बांधा था
जेल गए, कष्ट सहे पर न चलने दिया था मनमानी
550 से ज्यादा रियासत लाने वाला वह मर्द था हिंदुस्तानी
स्वतंत्र रहने वाले रजवाड़ों की, खत्म करी कहानी थी
अब उनके आगे चलने वाली, न कोई मनमानी थी
बुढ़ापे में भी बल्लभ की, बेमिसाल जवानी थी
झवेरभाई पिता थे और, लाडबा मातारानी थी
केवाडिया गुजरात में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी, जिसकी निशानी आसमानी है
नमन उन्हें इस जन्मदिवस पर, रोमांचकारी जिसकी हर एक कहानी है|
✍️✍️ करिश्मा अग्रवाल