White किनारों से निकलने की आदत हैं मेरी भीड़ से थो | हिंदी शायरी Video

"White किनारों से निकलने की आदत हैं मेरी भीड़ से थोड़ी रुसवाई हैं देखा जबाने मे हर तरफ मैंने उजालों मे भी खाई हैं सम्हल कर चलो फिर भी यहाँ पैर फिसल जाते हैं ज़िंदगी का क्या यहाँ वक्त चलते सब बदल जाते हैं 🥰🥰🙂 ©manshisingh@gmail.com "

White किनारों से निकलने की आदत हैं मेरी भीड़ से थोड़ी रुसवाई हैं देखा जबाने मे हर तरफ मैंने उजालों मे भी खाई हैं सम्हल कर चलो फिर भी यहाँ पैर फिसल जाते हैं ज़िंदगी का क्या यहाँ वक्त चलते सब बदल जाते हैं 🥰🥰🙂 ©manshisingh@gmail.com

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