बंधा प्रेम से मेरे हाथों रेशम का जो तार है, भैया म | हिंदी कविता

"बंधा प्रेम से मेरे हाथों रेशम का जो तार है, भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है। कितने रंग बदलते रिश्ते, भीड़ में हस्ती खोते रिश्ते, पल भर में ही शून्य हुए हैं निज स्वारथ में ढलते रिश्ते, रिश्तों की दुनिया दारी का तू सुंदर संसार है। भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है। रिंकी कमल रघुवंशी। ©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi"

 बंधा प्रेम से मेरे हाथों रेशम का जो तार है,
भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है।
कितने रंग बदलते रिश्ते,
भीड़ में हस्ती खोते रिश्ते,
पल भर में ही शून्य हुए हैं
निज स्वारथ में ढलते रिश्ते,
रिश्तों की दुनिया दारी का तू सुंदर संसार है।
भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है।

रिंकी कमल रघुवंशी।

©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi

बंधा प्रेम से मेरे हाथों रेशम का जो तार है, भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है। कितने रंग बदलते रिश्ते, भीड़ में हस्ती खोते रिश्ते, पल भर में ही शून्य हुए हैं निज स्वारथ में ढलते रिश्ते, रिश्तों की दुनिया दारी का तू सुंदर संसार है। भैया मेरे तुमसे ही तो राखी का त्यौहार है। रिंकी कमल रघुवंशी। ©Rinki Kamal Raghuwanshi surbhi

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