समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा | हिंदी Shayari

"समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता। ©༄ᶦᵅᶬ᭄ՏᎻᎥꪜᎪᎷ"

 समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई,
कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता।

©༄ᶦᵅᶬ᭄ՏᎻᎥꪜᎪᎷ

समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता। ©༄ᶦᵅᶬ᭄ՏᎻᎥꪜᎪᎷ

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