प्रिय सखा अजय... आज़ आया फिर वो दिन है... जिसकी प्र | हिंदी कविता

"प्रिय सखा अजय... आज़ आया फिर वो दिन है... जिसकी प्रतीक्षा पल पल रहती.... मन मे भावनाओं की इस दिन कल कल करती धारा बहती.... चुलबुले तुम शैतान हो बड़े... शरारत करने को तुमसे जी करे.... हर लम्हे मे पास हु सदा तुम्हारे... देख लेना मन के दर्पण मे ज़ब जी करे.... मन करता है तुम्हे मोर पंख सा अपने माथे पर सजाउ... मधुर हो बड़े तुम मुरली सा तुम्हे अपने ह्रदय मे बसाउ.... कर्म पथ पर चलते चलते नित कीर्तिमान रचो तुम.... कर्मवान बड़े इस गुण से भगवद गीता का सार सा बनो तुम.... चेहरे की सौम्यता...मुख की दिव्यता.... कर्म के तेज से प्रकाशित रहो.... प्रिय सखा हर जन्म मे, मेरे सखा के रूप मे परिभाषित रहो.... सुख -दुःख, सफलता - असफलता हर पल तुम्हारे अधरों की चर्चा हु.. आनंदित हो उठता हु सखा ये सोचकर की तुम मेरे सखा हो.... जन्मदिन पर आशीष खुशियाँ तुम्हारे जीवन मे रास करे... हर क्षेत्र मे सफलता पाओ.. शिक्षा के क्षेत्र मे रहो सदा प्रकाशित माँ सरस्वती का ह्रदय मे वास रहे... दही माखन मिश्री से प्रिय हो... मेरे ह्रदय मे धड़कन से सक्रिय हो... जन्मदिन पर दू मिश्री माखन सा असीम स्नेह और प्यार... उपहारो मे यही जमा दूजा ना कोई उपहार.... तुम्हारा सखा माधव.... ©Nitin Kuvade"

 प्रिय सखा अजय...
आज़ आया फिर वो दिन है...
जिसकी प्रतीक्षा पल पल रहती....
मन मे भावनाओं की इस दिन
कल कल करती धारा बहती....
चुलबुले तुम शैतान हो बड़े...
शरारत करने को तुमसे जी करे....
हर लम्हे मे पास हु सदा तुम्हारे...
देख लेना मन के दर्पण मे ज़ब जी करे....
मन करता है तुम्हे मोर पंख सा
अपने माथे पर सजाउ...
मधुर हो बड़े तुम मुरली सा तुम्हे
अपने ह्रदय मे बसाउ....
कर्म पथ पर चलते चलते
नित कीर्तिमान रचो तुम....
कर्मवान बड़े इस गुण से भगवद
गीता का सार सा बनो तुम....
चेहरे की सौम्यता...मुख की दिव्यता....
कर्म के तेज से प्रकाशित रहो....
प्रिय सखा हर जन्म मे,
मेरे सखा के रूप मे परिभाषित रहो....
सुख -दुःख, सफलता - असफलता
हर पल तुम्हारे अधरों की चर्चा हु..
आनंदित हो उठता हु सखा ये
सोचकर की तुम मेरे सखा हो....
जन्मदिन पर आशीष
खुशियाँ तुम्हारे जीवन मे रास करे...
हर क्षेत्र मे सफलता पाओ..
शिक्षा के क्षेत्र मे रहो सदा प्रकाशित
माँ सरस्वती का ह्रदय मे वास रहे...
दही माखन मिश्री से प्रिय हो...
मेरे ह्रदय मे धड़कन से सक्रिय हो...
जन्मदिन पर दू मिश्री माखन सा
असीम स्नेह और प्यार...
उपहारो मे यही जमा दूजा ना कोई उपहार....
तुम्हारा सखा माधव....

©Nitin Kuvade

प्रिय सखा अजय... आज़ आया फिर वो दिन है... जिसकी प्रतीक्षा पल पल रहती.... मन मे भावनाओं की इस दिन कल कल करती धारा बहती.... चुलबुले तुम शैतान हो बड़े... शरारत करने को तुमसे जी करे.... हर लम्हे मे पास हु सदा तुम्हारे... देख लेना मन के दर्पण मे ज़ब जी करे.... मन करता है तुम्हे मोर पंख सा अपने माथे पर सजाउ... मधुर हो बड़े तुम मुरली सा तुम्हे अपने ह्रदय मे बसाउ.... कर्म पथ पर चलते चलते नित कीर्तिमान रचो तुम.... कर्मवान बड़े इस गुण से भगवद गीता का सार सा बनो तुम.... चेहरे की सौम्यता...मुख की दिव्यता.... कर्म के तेज से प्रकाशित रहो.... प्रिय सखा हर जन्म मे, मेरे सखा के रूप मे परिभाषित रहो.... सुख -दुःख, सफलता - असफलता हर पल तुम्हारे अधरों की चर्चा हु.. आनंदित हो उठता हु सखा ये सोचकर की तुम मेरे सखा हो.... जन्मदिन पर आशीष खुशियाँ तुम्हारे जीवन मे रास करे... हर क्षेत्र मे सफलता पाओ.. शिक्षा के क्षेत्र मे रहो सदा प्रकाशित माँ सरस्वती का ह्रदय मे वास रहे... दही माखन मिश्री से प्रिय हो... मेरे ह्रदय मे धड़कन से सक्रिय हो... जन्मदिन पर दू मिश्री माखन सा असीम स्नेह और प्यार... उपहारो मे यही जमा दूजा ना कोई उपहार.... तुम्हारा सखा माधव.... ©Nitin Kuvade

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