रोशिनी कानून ऐ मोहब्बत की बुनियाद ही नाइंसाफी है
बेवफा को नहीं वफादार को साज़ा मिलती हैं ।।
जिसका दिल लबा लब होता है यहां इश्क़ से
इश्क़ के समंदर में उसी को प्यास मिलती है ।।
ज़बरदस्ती एक परिंदे को कैद किया जाता है
आदत हो जाए कफस की तो रिहाई मिलती है ।।
निचोड़ दो चिराग में लहू का कतरा कतरा
बिना जले कहां रोशनी ए आफताब मिलती है ।।
फ़ाड़ कर आरज़ू के पन्नों को जीना पड़ता है
बा आसानी कहां ज़िन्दगी की हसीन किताब मिलती है
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