White जितने बड़े इनके मकान, दिल के उतने छोटे हैं,
जितने बड़े इनके मकान, दिल के उतने छोटे हैं,
एक एक पैसे को ये सुबह शाम रोते हैं.
ऐसे लोग अक्सर क्यूं मकान मालिक होते हैं,
क्यूं सीढियों की लाइट तुमने थी ऑन छोड़ी,
10 साल पुरानी खिड़की थी तुमने इनकी तोड़ी,
जंग से लदा जो गेट है, तुमने है जाम कराया,
ऐसी जगह लोग अक्सर, मकान ले के रोते हैं,
ऐसे लोग अक्सर क्यूं, मकान मालिक होते हैं,
सारे शहर की बिजली है 7 रूपये की यूनिट,
इक इनके ही यहां पे बिजली है आती यूनीक,
ये 9रुपया हैं लेते, और उसमें भी कमाते,
इस तरह से अपना AC, ye फ्री में हैं चलाते.
ऐसे लोग अक्सर क्यूं, मकान मालिक होते हैं..
©Pankaj Pahwa
#shayri वादे के मुताबिक पूरा कर रहा हूं, जो था अधूरा छोड़ा उसको मैं पढ़ रहा हूं... @Kshitija