White कौन जिम्मेदार है?
स्तब्ध हैं,
निःशब्द हैं।
मुझसे,
सब क्रुद्ध हैं।
असमर्थ या मौन है,
प्रभुत्व ही विलीन है।
संशय की बाढ़ है,
सब बाढ़ में संलिप्त हैं।
मेरे स्वप्न सशक्त थे,
लक्ष्य विभक्त थे।
जुर्म से अनजान थी,
कर्तव्यपथ पे मग्न थी।
वे क्रूर हैं,
मानुष के वंश पे कलंक हैं।
कहाँ सम्मान है,
केवल अपमान है।
सर से नाखून तक,
हवस के निशान हैं।
स्त्री एकांत में,
अब भोग की सामान है?
कहते हैं नारी
इस राष्ट्र की सम्मान है।
कबतक सहन,
इस राष्ट्र का अपमान है।
कौन जिम्मेदार है?
कौन गुनहगार है?
©Mahesh Kopa
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