वक्त और ज़िन्दगी कभी नई खेलती दोस्त। खेलता तो नसीब | हिंदी Poetry

"वक्त और ज़िन्दगी कभी नई खेलती दोस्त। खेलता तो नसीब है। क्योंकी नसीब जब खेलता है तब वो वक्त और जिन्दगी दोनो को भी खिलवाता है। इसलिए कहते है नसीब सबसे बड़ा है। ©Akash Gandhi"

 वक्त और ज़िन्दगी कभी नई खेलती दोस्त।
खेलता तो नसीब है।
क्योंकी नसीब जब खेलता है तब वो
वक्त और जिन्दगी दोनो को भी खिलवाता है।

इसलिए कहते है नसीब सबसे बड़ा है।

©Akash Gandhi

वक्त और ज़िन्दगी कभी नई खेलती दोस्त। खेलता तो नसीब है। क्योंकी नसीब जब खेलता है तब वो वक्त और जिन्दगी दोनो को भी खिलवाता है। इसलिए कहते है नसीब सबसे बड़ा है। ©Akash Gandhi

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