तुझे जब धड़कनों में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी अब | हिंदी शायरी

"तुझे जब धड़कनों में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी अब मज़ा आ रहा है धक-धक करने में…"

 तुझे जब धड़कनों में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी
 अब मज़ा आ रहा है
 धक-धक करने में…

तुझे जब धड़कनों में बसाया तो धड़कने भी बोल उठी अब मज़ा आ रहा है धक-धक करने में…

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