अपना पेट तो भर गया, खाकर मिष्ठान अनेक । पड़ोसी भूख | हिंदी कविता
"अपना पेट तो भर गया, खाकर मिष्ठान अनेक ।
पड़ोसी भूखा मर गया, रोटी मिली न एक ।।
फोड़ पटाखे खुशी हुए,पैसा कर दिया राख ।
देखा झांक पड़ोस में, दिया ना देखा ताख ।।
==निशांत यादव=="
अपना पेट तो भर गया, खाकर मिष्ठान अनेक ।
पड़ोसी भूखा मर गया, रोटी मिली न एक ।।
फोड़ पटाखे खुशी हुए,पैसा कर दिया राख ।
देखा झांक पड़ोस में, दिया ना देखा ताख ।।
==निशांत यादव==