इंतज़ार ही सही जीने के लिए मेहशर हुए आंसू पीने के | हिंदी शायरी

"इंतज़ार ही सही जीने के लिए मेहशर हुए आंसू पीने के लिए कब कहा मैंने कि खुशी की तलाश है गम ही काफी हैं मेरे जीने के लिए शायर - बाबू कुरैशी"

 इंतज़ार ही सही जीने के लिए

मेहशर हुए आंसू पीने के लिए

कब कहा मैंने कि खुशी की तलाश है

गम ही काफी हैं मेरे जीने के लिए


शायर - बाबू कुरैशी

इंतज़ार ही सही जीने के लिए मेहशर हुए आंसू पीने के लिए कब कहा मैंने कि खुशी की तलाश है गम ही काफी हैं मेरे जीने के लिए शायर - बाबू कुरैशी

#फुरसत कहां मुस्कुराने की

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