"मेरे डूबती कश्ती को अब किनारा चाहिए ,
ये दिल को अब किसी का सहारा चाहिए ।
शिकस्त खाएं बैठें हैं राह - ए - इश्क़ में ,
फ़िर से उठ खड़ा हूं ऐसा शरारा चाहिए ।
ख्वाइश नहीं हैं हमारी चांद से मोहब्बत की ,
जो हर पल मेरे संग रहे वो सितारा चाहिए ।
©Abhi saxena"