उम्र के दरीचे कोई, दर नहीं ढूंढ़ते ढूंढ़ते हैं एक | हिंदी कविता

"उम्र के दरीचे कोई, दर नहीं ढूंढ़ते ढूंढ़ते हैं एक साथ जो उन्हें सुन सके उन्हें समझ सके ..... बिना उन्हें judge किए मुस्कुराहट को मुस्कुराहट दे सके कन्धे पर रखे हाथ देकर एक विश्वास.. मैं हूँ न Perfect कोई नहीं होता जिसका साथ perfect महसूस करा सके कोई रिश्ता होना जरूरी नहीं जिसे बस अपना कह सकें... उम्र के दरीचे दर नहीं साथी ढूंढते हैं..... ©Manju Sharma"

 उम्र के दरीचे कोई,
दर नहीं ढूंढ़ते

ढूंढ़ते हैं एक साथ जो
उन्हें सुन सके उन्हें समझ सके .....
 
बिना उन्हें judge किए
मुस्कुराहट को मुस्कुराहट दे सके 

कन्धे पर रखे हाथ 
देकर एक विश्वास.. मैं हूँ न 

Perfect कोई नहीं होता
जिसका साथ perfect महसूस करा सके

कोई रिश्ता होना जरूरी नहीं 
जिसे बस अपना कह सकें...

उम्र के दरीचे दर नहीं
साथी ढूंढते हैं.....

©Manju Sharma

उम्र के दरीचे कोई, दर नहीं ढूंढ़ते ढूंढ़ते हैं एक साथ जो उन्हें सुन सके उन्हें समझ सके ..... बिना उन्हें judge किए मुस्कुराहट को मुस्कुराहट दे सके कन्धे पर रखे हाथ देकर एक विश्वास.. मैं हूँ न Perfect कोई नहीं होता जिसका साथ perfect महसूस करा सके कोई रिश्ता होना जरूरी नहीं जिसे बस अपना कह सकें... उम्र के दरीचे दर नहीं साथी ढूंढते हैं..... ©Manju Sharma

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