प्रेम के बसंत की महक तो ताजा थी पर तुम्हारे जाने क | हिंदी कविता

"प्रेम के बसंत की महक तो ताजा थी पर तुम्हारे जाने की बात ने उसको पतझड़ में बदल दिया कहना सुनना शायद अलग विषय था आंखो के सूखे अश्क रूह में लिपट गए अगर वो बहते भी तो क्या कहते दिल और दिमाग के बीच मे तुम्हने दिमाग का चुनाव किया चुनाव शब्द ही राजनीतिक होता है इतना ही काफी है -अघोरी अमली सिंह #amliphilosphy ©Aghori amli"

 प्रेम के बसंत की महक तो ताजा थी
पर तुम्हारे जाने की बात ने 
उसको पतझड़ में बदल दिया
कहना सुनना शायद अलग विषय था
आंखो के सूखे अश्क रूह में लिपट गए
अगर वो बहते भी तो क्या कहते
दिल और दिमाग के बीच मे
तुम्हने दिमाग का चुनाव किया 
चुनाव शब्द ही राजनीतिक होता है
इतना ही काफी है
 -अघोरी अमली सिंह
#amliphilosphy

©Aghori amli

प्रेम के बसंत की महक तो ताजा थी पर तुम्हारे जाने की बात ने उसको पतझड़ में बदल दिया कहना सुनना शायद अलग विषय था आंखो के सूखे अश्क रूह में लिपट गए अगर वो बहते भी तो क्या कहते दिल और दिमाग के बीच मे तुम्हने दिमाग का चुनाव किया चुनाव शब्द ही राजनीतिक होता है इतना ही काफी है -अघोरी अमली सिंह #amliphilosphy ©Aghori amli

प्रेम के बसंत की महक तो ताजा थी
पर तुम्हारे जाने की बात ने उसको पतझड़ में बदल दिया
कहना सुनना शायद अलग विषय था
आंखो के सूखे अश्क रूह में लिपट गए
अगर वो बहते भी तो क्या कहते
दिल और दिमाग के बीच मे
तुम्हने दिमाग का चुनाव किया
चुनाव शब्द ही राजनीतिक होता है

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