जो मौन न समझे, वह हमदर्द कैसा होगा,
एक ही तरफ हो दर्द, तो दर्द कैसा होगा !
तूफ़ान है भीतर उठा जो,दिल में दर्द कैसा होगा,
कम हो न किसी मरहम से, वो मर्ज कैसा होगा !
ख़ामोशी है दिल की भाषा, मगर कौन बोलेगा,
मेरे दिल के दर्दों को, भीतर से कौन खोलेगा !
चुप्पी का शोर है बहुत,दर्द बयां कैसे होगा,
अनजान बना है हमदर्द, इतना बेबदर्द कैसे होगा !
मेरी रुह का अल्हड़, दिल की बेबसी कैसे जानेगा,
मौन से भरा है मेरा जीवन,दिल की कैसे मानेगा !
रहस्यमय है तेरी आँखों के राज,इनको कौन खोलेगा,
ए खुदा कोई तो हो, जो मेरे भीतर के दर्दों को बोलेगा !
©Thakur Vivek Krishna
#boat