तुम्हारी तबियत भी ख़राब हो सकती है,इतनी बेसब्री से | हिंदी शायरी

"तुम्हारी तबियत भी ख़राब हो सकती है,इतनी बेसब्री से क्यों चाँद का इंतज़ार करते हो। ये जमाने के रीति रिवाजों से क्या होगा मुझे मालूम है, की कई जन्मों से मुझसे प्यार करते हो। ©Akalpit kanha"

 तुम्हारी तबियत भी ख़राब हो सकती है,इतनी बेसब्री से क्यों चाँद का इंतज़ार करते हो।

ये जमाने के रीति रिवाजों से क्या होगा मुझे मालूम है, की कई जन्मों से मुझसे प्यार करते हो।

©Akalpit kanha

तुम्हारी तबियत भी ख़राब हो सकती है,इतनी बेसब्री से क्यों चाँद का इंतज़ार करते हो। ये जमाने के रीति रिवाजों से क्या होगा मुझे मालूम है, की कई जन्मों से मुझसे प्यार करते हो। ©Akalpit kanha

तुम्हारी तबियत भी ख़राब हो सकती है,इतनी बेसब्री से क्यों चाँद का इंतज़ार करते हो।

ये जमाने के रीति रिवाजों से क्या होगा मुझे मालूम है,की कई जन्मों से मुझसे प्यार करते हो।
--अकल्पित कान्हा

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