मुसाफ़िर को पता था ना तेरे मंज़िल का ठिकाना , बस र | हिंदी शायरी

"मुसाफ़िर को पता था ना तेरे मंज़िल का ठिकाना , बस राहों में दर- दर भटकता जा रहा था। ना खुशियां मिली थी ना गम का पता था , बस चाहत में पल - पल तड़पता जा रहा था ।। @शिवा........"

 मुसाफ़िर को पता था ना तेरे मंज़िल का ठिकाना ,
बस राहों में दर- दर भटकता जा रहा था।
ना खुशियां मिली थी ना गम का पता था ,
बस चाहत में पल - पल तड़पता जा रहा था ।।
@शिवा........

मुसाफ़िर को पता था ना तेरे मंज़िल का ठिकाना , बस राहों में दर- दर भटकता जा रहा था। ना खुशियां मिली थी ना गम का पता था , बस चाहत में पल - पल तड़पता जा रहा था ।। @शिवा........

#लवलाइफ अधूरी बातें @milli 💕Astha Raj Dhiren 💕 निdhi🖤 @The_heavyhearted_lady

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