तेरे दर पे दस्तक देते देते, अब रूह रुख़सत को तैयार | हिंदी शायरी

"तेरे दर पे दस्तक देते देते, अब रूह रुख़सत को तैयार है। की एक दफा किंवाड़ खोलते, तो देख पाते मेरी झोली में क्या है। प्रज्ञा रतन★प्रज्ञास्मि ©Pragya Ratan Shrivastava"

 तेरे दर पे दस्तक देते देते,
अब रूह रुख़सत को तैयार है।
की एक दफा किंवाड़ खोलते,
तो देख पाते मेरी झोली में क्या है।
 प्रज्ञा रतन★प्रज्ञास्मि

©Pragya Ratan Shrivastava

तेरे दर पे दस्तक देते देते, अब रूह रुख़सत को तैयार है। की एक दफा किंवाड़ खोलते, तो देख पाते मेरी झोली में क्या है। प्रज्ञा रतन★प्रज्ञास्मि ©Pragya Ratan Shrivastava

#pragyasmi

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