परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, जमीं पे बैठ के क | हिंदी शायरी
"परों को खोल जमाना उड़ान देखता है,
जमीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है?
मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाज़त कर;
संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है।
#dheeru"
परों को खोल जमाना उड़ान देखता है,
जमीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है?
मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाज़त कर;
संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है।
#dheeru