परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, जमीं पे बैठ के क | हिंदी शायरी

"परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, जमीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है? मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाज़त कर; संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है। #dheeru"

 परों को खोल जमाना उड़ान देखता है,
जमीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है?
मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाज़त कर;
संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है।
                  #dheeru

परों को खोल जमाना उड़ान देखता है, जमीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है? मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफाज़त कर; संभल के चल तुझे सारा जहान देखता है। #dheeru

#परों को खोल🌹🥀🙏dheeru

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