White है इसी बात से वज़ूद मिरा के तुम सोहबत हो
इसे गुरूर कहो या कुछ तुम ही मुहब्बत हो
तुम से ही है जहान, आशियाँ और यह मकान
ता-उम्र संजोया जाए ऐसी तुम इक़ दौलत हो
बताऊँ तो हर्फ़-ग़ह ही कम पड़ जाए जानम
रिश्तों की ड़ोर में बंधन के जैसी हसरत हो
कायनात में मुझ सा और कौन होगा कोई
जिस में पलती हुई तुम हमारी विरासत हो
©विशाल पांढरे
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