बिन पानी सूखे दरख्तों से लाखों दर्द उगायें हैं मैं | हिंदी शायरी

"बिन पानी सूखे दरख्तों से लाखों दर्द उगायें हैं मैंने, उगकर बने बगीचों से भी ताजा हवाएं ना मिली। ©Monu Sharma"

 बिन पानी सूखे दरख्तों से लाखों दर्द उगायें हैं मैंने,
उगकर बने बगीचों से भी ताजा हवाएं ना मिली।

©Monu Sharma

बिन पानी सूखे दरख्तों से लाखों दर्द उगायें हैं मैंने, उगकर बने बगीचों से भी ताजा हवाएं ना मिली। ©Monu Sharma

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