अपने शहर की ताजा हवा लेकर चला हूं हर दर्द की दवा य | हिंदी शायरी

"अपने शहर की ताजा हवा लेकर चला हूं हर दर्द की दवा यारों में लेकर चला हूं मुझको यकीन है कि रहूंगा कामयाब क्योंकि मैं घर से मां की दवा लेकर चला हूं ©Shadab Khan"

 अपने शहर की ताजा हवा लेकर चला हूं हर दर्द की दवा यारों में लेकर चला हूं मुझको यकीन है कि रहूंगा कामयाब क्योंकि मैं घर से मां की दवा लेकर चला हूं

©Shadab Khan

अपने शहर की ताजा हवा लेकर चला हूं हर दर्द की दवा यारों में लेकर चला हूं मुझको यकीन है कि रहूंगा कामयाब क्योंकि मैं घर से मां की दवा लेकर चला हूं ©Shadab Khan

#shaadi

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