चल यहाँ से उठ चले अब,
मन्ज़िलों की ओर बढ़े हम..
खुशियों को बाँटते हुए..गमों को छाटते हुए..
पता ही नहीं चलेगा पुराने रास्तों से गुजर जाएगे कब..चल यहाँ से उठ चले अब।।
चल यहाँ से उठ चले अब,
मन्ज़िलों की ओर बढ़े हम..
खुशियों को बाँटते हुए..गमों को छाटते हुए..
पता ही नहीं चलेगा पुराने रास्तों से गुजर जाएगे कब..चल यहाँ से उठ चले अब।।