कुछ बात जो दिल में लगती है
कुछ सोच के खामोश हो जाती हू
संसार से शिकवा कोई
किस्मत का खेल बताती हूं
लड़की हू अबला नहीं
मैं ही दुर्गा कहलाती हू,
हां बात अलग है की मेरी चलती नही
ना मैं अपनी चलाना चाहती हू,
जब ठेस कही से लगती है
अपने आत्मसम्मान पे,
रह रह कर रोने लगती हूं,
©Priyanshu
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