गुरु रैदास की कुछ महत्वपूर्ण संदेश भरी साखियां
अछूत राज बिछड़े दुख पाया।
पराधीनता पाप है जान लेवो रे मीत
रैदास दास पराधीन को कौन करे है प्रीत।
साधु अविद्या अहित कीन
ताते विवेक दीप भैया मलीन।
रैदास जन्म के कारणे होत न कोई नीच
नर को नीच कर डाले है ओच्छे कर्मों की कीच।
जात पात के फेर में उलझ रहे सब लोग
मनुष्यता को खा रहा रैदास जात का रोग।
जात जात में जात है ज्यों केलन में पात
रैदास मानस न जुड़ सके जब तक जात न जात
ठांव ठांव ठग बैठे पग पग पैठे बटमार
साधु का भेष धरै डाकू सी करै लूटमार
सूरा सोई सहारिये जो लड़े दीन के हेत
पुर्जा पुर्जा हुई भोंये रहै तबहुं न छाडे खेत।
...... क्रांतिकारी कवि रैदास
जिनमें अंधविश्वास पाखंडवाद ऊंच-नीच जातिवाद आदि
सब बुराइयों का विरोध किया है।
©Vijay Vidrohi
#Ravidas_Jayanti