हमें प्रेम पुष्प सा नही चाहिऐ , कि कोई उसे तोड सके | हिंदी कविता

"हमें प्रेम पुष्प सा नही चाहिऐ , कि कोई उसे तोड सके या उसके मुरझाने का डर हो या एक एक करके उसकी पत्तियां टूटने लग जाऐं , फिर उसका अस्तित्व ही न रहे , प्रेम कांटों सा ही सही है , जिसके न टूटने का डर है न मुरझाने का खौफ .. ©krishna singh chauhan"

 हमें प्रेम पुष्प सा नही चाहिऐ ,
कि कोई उसे तोड सके 
या उसके मुरझाने का डर हो 
या एक एक करके उसकी
 पत्तियां टूटने लग जाऐं ,
फिर उसका अस्तित्व ही न रहे ,
प्रेम कांटों सा ही सही है ,
जिसके न टूटने का डर है 
न मुरझाने का खौफ ..

©krishna singh chauhan

हमें प्रेम पुष्प सा नही चाहिऐ , कि कोई उसे तोड सके या उसके मुरझाने का डर हो या एक एक करके उसकी पत्तियां टूटने लग जाऐं , फिर उसका अस्तित्व ही न रहे , प्रेम कांटों सा ही सही है , जिसके न टूटने का डर है न मुरझाने का खौफ .. ©krishna singh chauhan

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#प्रेम #तुम


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