"ये किस तरहा के है मेरे चाहने वाले
समझ के बेबस मुझको सताने वाले
हसरत रखतें हैं पलकों पे रहने की
मुझे नज़रों से अपनी गिराने वाले
ज़िक़्र आँसुओ का वहाँ क्या करना
महज़ मौजूद जहाँ मुस्कुराने वाले
बहते झरने को देख यक़ी पुख्ता हुआ
लौट कर नहीं आते कभी जाने वाले
रखेंगें दावत तेरे गुज़र जाने का यही
शहर भर को तुझे अपना बताने वाले
Mukku U"