हुस्न-ए-दीद के सबब जब इश्क़ बेशुमार हो जाता है , | हिंदी Shayari

"हुस्न-ए-दीद के सबब जब इश्क़ बेशुमार हो जाता है , धड़कने तेज़ हो जाती है साँस लेना दुश्वार हो जाता है ... ©Arshu...."

 हुस्न-ए-दीद के सबब जब इश्क़ बेशुमार हो जाता है ,


 धड़कने तेज़ हो जाती है साँस लेना दुश्वार हो जाता है  ...

©Arshu....

हुस्न-ए-दीद के सबब जब इश्क़ बेशुमार हो जाता है , धड़कने तेज़ हो जाती है साँस लेना दुश्वार हो जाता है ... ©Arshu....

हुस्न-ए-दीद के सबब जब इश्क़ बेशुमार हो जाता है ..
धड़कने तेज़ हो जाती है साँस लेना दुश्वार हो जाता है !! @Preeti Kumari परिंदा @Rajesh kohli @Mahi @SHAYAR (RK)

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