आज के हालात सियासत का जंगल उलझे हुए तार ,पुरानी इ | हिंदी कविता

"आज के हालात सियासत का जंगल उलझे हुए तार ,पुरानी इमारत जगह जगह दरार । कत्ल होकर पड़ी हैरात भर से लाश बेगुनाह हवालात मेंमुजरिम फरार । कोई करे हिन्दूकोई करे मुस्लिम आग लगे पेट कोनिकालो तलवार । महंगा है राशन पानी भी मोल सस्ता ज़मीर है सस्ते हथियार । पटरी पे आती नही ज़िन्दगी ये घर ने ही कैद है होके बेरीज़गार । शहर की सारीचकाचौंध झूटी सूली पे लटके अच्छे कलाकार । मानवता का दुनिया मेही रहा बलात्कार भूल जाओ यारो अब कोई चमत्कार । राजू थापा"

 आज के हालात सियासत का जंगल 
उलझे हुए तार ,पुरानी इमारत
जगह जगह दरार ।
कत्ल होकर पड़ी हैरात भर से लाश 
बेगुनाह हवालात मेंमुजरिम फरार ।
कोई करे हिन्दूकोई करे मुस्लिम
आग लगे पेट कोनिकालो तलवार ।
महंगा है राशन पानी भी मोल 
सस्ता ज़मीर है सस्ते हथियार ।
पटरी पे आती नही ज़िन्दगी ये 
घर ने ही कैद है होके बेरीज़गार ।
शहर की सारीचकाचौंध झूटी 
सूली पे लटके अच्छे कलाकार ।
मानवता का दुनिया मेही रहा बलात्कार 
भूल जाओ यारो अब कोई चमत्कार ।
राजू थापा

आज के हालात सियासत का जंगल उलझे हुए तार ,पुरानी इमारत जगह जगह दरार । कत्ल होकर पड़ी हैरात भर से लाश बेगुनाह हवालात मेंमुजरिम फरार । कोई करे हिन्दूकोई करे मुस्लिम आग लगे पेट कोनिकालो तलवार । महंगा है राशन पानी भी मोल सस्ता ज़मीर है सस्ते हथियार । पटरी पे आती नही ज़िन्दगी ये घर ने ही कैद है होके बेरीज़गार । शहर की सारीचकाचौंध झूटी सूली पे लटके अच्छे कलाकार । मानवता का दुनिया मेही रहा बलात्कार भूल जाओ यारो अब कोई चमत्कार । राजू थापा

#सियासत का जंगल

People who shared love close

More like this

Trending Topic