स्त्री को शक्ति की चाह नहीं,वह स्वयं में शक्ति होती है।
भगवान से आगे बढ़कर भी एक मां की भक्ति होती है।
बहन के जैसा प्रेम नही, पत्नी की जैसी चाह नहीं।
एक मां ही तो है जिसको बच्चो के आगे , खुद की भी परवाह नहीं ।
दूजे की खुशियों की खातिर खुद की ख्वाहिशें डुबोती है।
स्त्री को शक्ति की चाह नहीं वह स्वयं में शक्ति होती है ।
©atul krishna pandey
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