रुह बेचकर ज़िस्म आबाद हो रहे हैं घोंसलो से उड़े परि | English Poetry

"रुह बेचकर ज़िस्म आबाद हो रहे हैं घोंसलो से उड़े परिंदे तिनका लेकर लौट रहे हैं ©Arpit 'Shantah'"

 रुह बेचकर
 ज़िस्म आबाद हो रहे हैं
घोंसलो से उड़े परिंदे
 तिनका लेकर लौट रहे हैं

©Arpit 'Shantah'

रुह बेचकर ज़िस्म आबाद हो रहे हैं घोंसलो से उड़े परिंदे तिनका लेकर लौट रहे हैं ©Arpit 'Shantah'

#BlueEvening #Life

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