जज़्बात क़लम से यूँ ही बयाँ नही होते। मुंतशिर खाईयो | हिंदी Shayari

"जज़्बात क़लम से यूँ ही बयाँ नही होते। मुंतशिर खाईयों को भी मुंतशिर होना पड़ता है ©Adi@........"

 जज़्बात क़लम से यूँ ही बयाँ नही होते।
मुंतशिर 
खाईयों को भी 
मुंतशिर होना पड़ता है

©Adi@........

जज़्बात क़लम से यूँ ही बयाँ नही होते। मुंतशिर खाईयों को भी मुंतशिर होना पड़ता है ©Adi@........

#coldnights

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