नापाक किसी के मंसूबों का कहर है, घर पर रहो, वायरस | हिंदी Shayari

"नापाक किसी के मंसूबों का कहर है, घर पर रहो, वायरस का अब हर तरफ असर है, घर पर रहो| चन्द-रोज़ की तालाबंदी, लौटेंगे फिर सुनहरे लम्हें, अभी सरकार की सब पर नज़र है, घर पर रहो| मुद्दत से ना हुई थी जिनसे बोलचाल भी जनाब, आज सबको यहाँ, सबकी खबर है, घर पर रहो| कर कुछ रहम ज़रा, अपने बाशिंदों पर उपरवाले, मजदूर क्यूँ भटकता, दर-बदर है, घर पर रहो| दौर-ए-गर्दिश मे, औकात इंसान की भला क्या, सबके रहनुमा का भी, बंद दर है, घर पर रहो| कर इरादा, पार जाना है अब चुनौतियों के 'हरीश', नामुमकिन नहीं, मुश्किल सफ़र है, घर पर रहो|"

 नापाक किसी के मंसूबों का कहर है, घर पर रहो,
वायरस का अब हर तरफ असर है, घर पर रहो|

चन्द-रोज़ की तालाबंदी, लौटेंगे फिर सुनहरे लम्हें,
अभी सरकार की सब पर नज़र है, घर पर रहो|

मुद्दत से ना हुई थी जिनसे बोलचाल भी जनाब,
आज सबको यहाँ, सबकी खबर है, घर पर रहो|

कर कुछ रहम ज़रा, अपने बाशिंदों पर उपरवाले,
मजदूर क्यूँ भटकता, दर-बदर है, घर पर रहो|

दौर-ए-गर्दिश मे, औकात इंसान की भला क्या,
सबके रहनुमा का भी, बंद दर है, घर पर रहो|

कर इरादा, पार जाना है अब चुनौतियों के 'हरीश',
नामुमकिन नहीं, मुश्किल सफ़र है, घर पर रहो|

नापाक किसी के मंसूबों का कहर है, घर पर रहो, वायरस का अब हर तरफ असर है, घर पर रहो| चन्द-रोज़ की तालाबंदी, लौटेंगे फिर सुनहरे लम्हें, अभी सरकार की सब पर नज़र है, घर पर रहो| मुद्दत से ना हुई थी जिनसे बोलचाल भी जनाब, आज सबको यहाँ, सबकी खबर है, घर पर रहो| कर कुछ रहम ज़रा, अपने बाशिंदों पर उपरवाले, मजदूर क्यूँ भटकता, दर-बदर है, घर पर रहो| दौर-ए-गर्दिश मे, औकात इंसान की भला क्या, सबके रहनुमा का भी, बंद दर है, घर पर रहो| कर इरादा, पार जाना है अब चुनौतियों के 'हरीश', नामुमकिन नहीं, मुश्किल सफ़र है, घर पर रहो|

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