तेरी चिट्ठी आज भी,
है पड़े दराज़ में..
कर न पाया पोस्ट कभी था,
जो लिखे थे याद में..
जब कभी भी खोलता हूं,
मैं कभी दराज़ को..
हो जाती यादें हरी है,
जो गुज़ारे साथ थे..
अब तो मुझसे दूर बहुत हो,
हो बहुत ही दूर तुम..
यादें अब भी पास है तेरी,
तुम नही पर साथ हो..
#अजय57
©Ajay Keshari