।। कविता।।
।। मैं सीख रही हूँ।।
( १) वास्तव में सुधर गयी हुँ।
क्यों की मैं सीख रही ...
जिंदगी जीने के अंदाज
युँ ही नहीं सुधर गयी हूँ।
(२) मैं खुद को खुद ही पहचान रहीं हुँ ।
मैं सुधर रही हुँ......😊
(३) अपनी गलती से ही सीख रहीं हुँ।
खुद को अब एक मौका दे रहीं हूँ।
मैं सधर रहीं हुँ.....🤞🤗
मैं सुधर रहीं हूँ....
।। समाप्त।।
🤞🤗 official vidhi 🤞🤗
©Mukku
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