कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा श

"कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका जाऊं फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है जय शारदे मां ©KrishnaSharma"

 कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन
लेखक:- कृष्णा शर्मा
 स्वरचित

पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है

 फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे

वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे

 हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने

देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले

मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है

हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो

पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो

भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका  जाऊं

फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं

 एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है

इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा

मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा

 सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है

जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है

इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है

 मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है

 जय शारदे मां

©KrishnaSharma

कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका जाऊं फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है जय शारदे मां ©KrishnaSharma

कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन

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