261223 वो जो सूखा सा था टुकड़ा लकड़ी का , पल में हो

"261223 वो जो सूखा सा था टुकड़ा लकड़ी का , पल में हो गया राख धधकते- धधकते.. वो जो था समेटे नमी जल ना पाया पुरा, और रह गया अधूरा सुलगते-सुलगते.. ©shubham jain *parag*"

 261223
वो जो सूखा सा था
टुकड़ा लकड़ी का ,
पल में हो गया राख 
धधकते- धधकते..

वो जो था समेटे नमी 
जल ना पाया पुरा,
और रह गया अधूरा 
सुलगते-सुलगते..

©shubham jain *parag*

261223 वो जो सूखा सा था टुकड़ा लकड़ी का , पल में हो गया राख धधकते- धधकते.. वो जो था समेटे नमी जल ना पाया पुरा, और रह गया अधूरा सुलगते-सुलगते.. ©shubham jain *parag*

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